अगर आप इंटरनेट पर एक्टिव रहते है तो आपने वेब 3.0 का नाम जरूर सुना होगा। बताया जा रहा है वेब 3.0 आने के बाद इंटरनेट की दुनिया पूरी तरह से बदल जायेगी।
वेब 3.0 को मेटावर्स से भी जोड़कर देखा जा रहा है। अब सवाल उठता है कि वेब 3.0 क्या है। इस लेख मे हम आपको इसे के बारे मे विस्तार से समझने वाले है इसलिए इस लेख को पूरा पढे। वेब 3.0 क्या है।
वेब 3.0 को समझने से पहले आपको वेब 1.0 ये समझना होगा कि आखिर वेब 1.0 क्या होता तभी आप वेब 3.0 को आसानी से समझ पाओगे।
वेब क्या है ? Web Kya Hai
वेब का पूरा नाम वर्ल्ड वाइड वेब होता है जिसे ज्यादातर लोग WWW) के नाम से जानते है। इसकी शुरुआत आज से 32 वर्ष पहले 1989 में की गई थी। जिस समय में इसकी
शुरुआत हुई थी। तब इंटरनेट पर जानकारी केवल टेक्स्ट फॉर्मेट मे ही मौजूद थी। जिसे यूजर्स इंटरनेट पर सर्च करके केवल पढ़ सकते थे।
जिसे Web 1.0 का नाम दिया गया । उसके बाद समय बदला नई नई तकनीक का आविष्कार हुआ । फिर इंटरनेट की दुनिया मे Web 2.0 की शुरुआत हुई। जिसमे यूजर्स कंटेन्ट पढ़ने के अलावा इमेज और वीडियो भी देख सकते है। Web 2.0 भी एक सेंट्रलाइज इंटरनेट बबनकर रह गया। जिसका कंट्रोल किसी प्राइवेट बड़ी कंपनी के पास रहता है।
हम जो इंटरनेट यूज करते है उसे एक तरह से कंट्रोल किया जाता है। ये डिसेंट्रलाइज्ड नहीं है। इंटरनेट यूजर्स ज्यादातर कंटेन्ट गूगल के माध्यम से सर्च करते है। जो एक प्राइवेट कंपनी है। जिसके कारण यूजर्स का डेटा इन कंपनियों के पास पहुच जाता है। जिसका इस्तेमाल वे यूजर की परमिशन के बिना अलग अलग प्रकार से कर सकते है।
यूजर्स के डाटा चोरी करके उसके गलत इस्तेमाल का आरोप फ़ेसबुक , गूगल , अमेजन इत्यादि बड़ी कंपनियों पर लगते रहते है। यानि की ये कंपनिया लोगों के साथ बड़ा खिलवाड़ कर रही है मार्केट मे इनका दूसरा ऑप्शन न होने के बावजूद लोगों का इनका इस्तेमाल मजबूरन करना पड़ता है। इसे पढे :- डीप लर्निंग तकनीक क्या है |
वेब 3.0 क्या है? Web 3.0 Kya Hai
टेक्नोलॉजी में समय के साथ हर चीजे बदलती रहती है। ये बात आप आज से 10, 20 वर्ष पुराने फोन देखकर भी पता लगा सकते है। ऐसे ही इंटरनेट की दुनिया में भी समय के साथ चीजें अपडेट होती रहती है। जिसके कारण अब Web 2.0 का एडवांस वर्जन Web 3.0 मार्केट में या चुका है।
Web 3.0 को अब कोई भी प्राइवेट कंपनी कंट्रोल नहीं कर पाएगी। इसमें कोई कंपनी नहीं होगी। जिसके कारण अब इंटरनेट यूजर अपने कंटेंट का खुद मालिक होगा। इसे भी जरूर पढे : क्वांटम टेक्नोलॉजी क्या है ?
इसे हम आपको आसान भाषा मे समझते है।
Web 2.0 मे फ़ेसबुक , गूगल , अमेजॉन इत्यादि कंपनिया अपने प्लेटफ़ॉर्म को अपने फायदे के लिए अपने अनुसार कंट्रोल करके इस्तेमाल सकती है। कई बार इन कंपनियों पर गलत रिजल्ट दिखने के आरोप भी लगते रहते है।
जैसे कि मेटा कंपनी के पास फेसबुक , इंस्टाग्राम और वॉट्सऐप जैसे बड़े प्लेटफ़ॉर्म है जिन पर अरबों यूजर मौजद है। ऐसें मे अगर मेटा चाहे तो इन प्लेटफ़ॉर्म पर यूजर के द्वारा पब्लिश होने वाले कंटेन्ट को अपने तरीके से मैनिपुलेट कर सकती है।
Web 3.0 आने के बाद इन कंपनियों की मोनोपॉली समाप्त हो जायेगी। जिसके कारण ये कंपनियां Web 3.0 का विरोध करने में लगी हुई है। इसे भी जरूर पढे : फ़ेसबुक ने अपना नाम बदलकर मेटा क्यों किया।
Web 3.0 पर क्रिप्टो करेंसी की तरह ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित है। जिसका उद्देश्य यूजर्स के डेटा को डिसेंट्रलाइज करना है।
डिसेंट्रलाइज्ड करेंसी को आसान भाषा में समझा जाए तो इसमें निवेशकों के पैसे किसी बैंक मे नहीं होते है।
अगर किसी कारण वश बैंक दिवालिया हो जाता है तो आपकी करेंसी को किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं होगा। इसमें फ्रॉड होने के चांस बहुत कम होते है।
ठीक इसी प्रकार वेब 3.0 मे यूजर्स का डाटा ब्लॉकचेन की तरह किसी प्राइवेट सर्वर पर पब्लिश न होकर यूजर की डिवाइस में एन्क्रिप्टेड फॉर्मेट ही रहेगा। लेकिन कोई भी यूजर यह नहीं जान सकेगा। कि आपका डाटा कहा पर रखा। जिसके कारण आपके डाटा के साथ छेड़छाड़ करना, करना संभव नहीं होगा। इसे पढे :- डीप लर्निंग तकनीक क्या है |
आने वाले दिनों मे वेब 3.0 आने के बाद देखना बड़ा ही दिलचस्प होगा । कि इससे यूजर को कितना फायदा मिलता है।
Web 3.0 से आपकी लाइफ में क्या बदलेगा?
इंटरनेट की दुनिया मे Web 3.0 आने के बाद यूजर के कंटेन्ट का कंट्रोल यूजर के पास ही रहेगा। जिसके बदले मे उन्हे टोकन मिलेंगे। यूजर जिस भी इंटरनेट प्लेटफ़ॉर्म पर अपना कंटेन्ट पब्लिश करेंगे। उसके राइट्स उनके पास ही रहेंगे। यानि कि यूजर अपने डाटा को खुद कंट्रोल कर सकेंगे।
जबकि वर्तमान मे Web 2.0 मे ऐसा नहीं है। यूजर जैसे ही किसी भी प्लेटफ़ॉर्म पर कंटेन्ट पब्लिश करता है। तो वो कंटेन्ट उन प्लेटफ़ॉर्म का ही हो जाता है। जिसे वे अपने हिसाब से इस्तेमाल कर सकते है। इसे भी पढे :- ई प्लेन तकनीक क्या है |
एलन मस्क Web 3.0 के सपोर्ट में नहीं है
Web 3.0 को लेकर गूगल , फ़ेसबुक , ऐमज़ान , ट्विटर , टेसला जैसी बड़ी कंपनी इसके पक्ष मे नहीं है । टेसला के फाउंडर और सीईओ एलन मस्क और ट्विटर के फाउंडकर जैक डोर्सी भी इसके पक्ष मे नहीं है। लेकिन उनका कहना है Web 3.0 पर पिछले दस वर्षों से काम चल रहा है। आने वाले 10 वर्षों मे Web 3.0 Web 2. 0 को रिप्लेस कर देगा। जोकि समय की मांग है।

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