Facebook Metaverse Technology Kya Hai Hindi : फ़ेसबुक ने अपना नाम बदलकर मेटा क्यों किया।

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Facebook Metaverse Technology Kya Hai Hindi ultimate guider
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फ़ेसबुक ने हाल ही मे अपनी कंपनी का नाम फ़ेसबुक से बदलकर मेटा कर दिया है। जिसकी जानकारी खुद ने फ़ेसबुक के ऑनर मार्क जुकरबर्ग ने एक ट्वीट के जरिए दी उनका कहना है कि अब उनकी सभी ऐपस इसी मेटा कंपनी के अंदर आएगी।

लेकिन उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया है। कि उनकी ऐपस पर इसका कोई असर नहीं होगा लेकिन एक सवाल आपके मन मे जरूर होगा कि आखिर फ़ेसबुक जैसी बड़ी कंपनी को अपने नाम मे बदलाव क्यों करना पड़ा।

इस लेख मे हम आपको इन सभी बातों के बारे मे विस्तार से समझाने वाले है इसलिए इस लेख को पूरा पढे। इस लेख मे हम आपको बताने वाले है कि फ़ेसबुक मेटा क्या है। Facebook Metaverse Kya Hai , फ़ेसबुक मेटावर्स टेक्नोलॉजी क्या है Facebook Metaverse Technology Kya Hai Hindi इसके आने से फ़ेसबुक के अंदर क्या क्या बदलाव देखने को मिलेंगे।

मेटावर्स का क्या मतलब है Facebook Metaverse Technology

फ़ेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग के अनुसार मेटा एक ग्रीक भाषा का शब्द है जिसका मतलब बियोंड होता हिय यानि की ” हद से पार “
इसलिए कंपनी ने अपना नाम बदलकर मेटा किया है ताकि इस सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म को एक अलग वर्चुअल दुनिया मे ले जाया जा सके।

वर्चुअल रियलिटी एक ऐसी दुनिया होता है जहा पर लोग अपने घर बैठकर दुनिया के किसी भी कौने मे घूम सकता है। वहा के लोगों के बात कर सकता है।

इन सभी प्रकिरयाओ को आप आभासी प्रकिरया द्वारा महसूस कर सकते हो इसलिए इसे मेटावर्स टेक्नोलॉजी का नाम दिया गया है।

वैसे तो वर्तमान मे वीडियो गेम मे वर्चुअल रियलिटी का इस्तेमाल किया जा रहा है लेकिन इस तकनीक के आने के बाद आपको इसका इस्तेमाल सोशल मीडिया मे देखने को मिलेगा। वर्चुअल रियलिटी अपने आप मे एक अलग ही दुनिया है। ये तकनीक पूरी तरह से इंटरनेट पर निर्भर रहती है।

मेटावर्स का नाम भले ही आपने आज सुना हो लेकिन ये एक पुराना शब्द है। जिसका उल्लेख “स्नो क्रैश डायस्टोपियन उपन्यास के लेखक नील स्टीफेंसन वर्ष 1992 मे कर चुके है।

इस उपन्यास का मेटा वर्स का उल्लेख एक ऐसी दुनिया से किया गया था जहा पर लोग गेम मे ही डिजिटल गेजेट्स का इस्तेमाल करके एक ऐसी दुनिया का आभास कर सकते है जहा पर उनके लिए फिजिकल रूप मे पहुचना नामुमकिन होता है।

फेसबुक कंपनी के इस नाम को बदलने का आइडिया फॉर्मर सिविक इंटीग्रिटी चीफ समिध चक्रवर्ती के द्वारा दिया गया था मार्क जुकरबर्ग पहले से ही वर्चुअल रियलिटी मे भारी निवेश कर रहे थे जिसके कारण उन्हे इस नाम को बदलना कोई बड़ी बात नही लगी।

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फ़ेसबुक को नाम क्यों बदलना पड़ा

  • फ़ेसबुक ने अपने नए नाम मेटावर्स के बाद अब आपके लिए यह जानना जरूरी है कि क्या अब फ़ेसबुक नाम बदलकर मेटावर्स हो जायेगा । ऐसा नहीं है कंपनी के ऐपस के नाम मे किसी प्रकार का बदलाव नहीं किया जायेगा, फ़ेसबुक कपनी ने सिर्फ अपनी कंपनी के नाम मे बदलाव किया है । जिसके कारण अब फ़ेसबुक कंपनी को मेटावर्स के नाम से जाना जाएगा।
  • फ़ेसबुक ऐसे अकेली कंपनी नहीं है जो अपना नाम बदल रही है इससे पहले गूगल ने अभी अपनी पेरेंट कंपनी का नाम अल्फाबेट किया था। जिसके अंदर गूगल के अलावा और भी कंपनी आती है ठीक उसी प्रकार फ़ेसबुक ने भी गूगल की तरह ही अपनी पेरेंट कंपनी का नाम बदलकर मेटावर्स किया है।
  • फ़ेसबुक के हेडक्वार्टर का नाम भी अब बदलकर मेटावर्स हो जायेगा जबकि फ़ेसबुक की सभी ऐपस जैसे कि फ़ेसबुक , व्हाट्सअप , इंस्टाग्राम मेसेन्जर इत्यादि के नामों मे किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं होगा । लेकिन कंपनी के स्टॉक स्टीकर को MVRS के नाम से जाना जायेगा।
  • कॅम्पनी के अपने हेडक्वार्टर से अंगूठे वाले लाइक का साइन हटाकर उसकी जगह इनफिनिटी का साइन लगा दिया है,

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फ़ेसबुक मेटावर्स से जुड़ी हुई कुछ बाते

  • मेटावर्स को मोबाइल इंटरनेट की अगली पीढ़ी माना जा रहा है इसलिए मार्क जुकरबर्ग इसमे भारी निवेश करके इसे तेजी से आगे बढ़ाने मे लगे हुए है।
  • मेटावर्स के वर्चुअल रियलिटी तकनीक मे यूजर्स की सुरक्षा का भी खास ध्यान रखा जायेगा अगर आप किसी को ब्लॉक करना चाहते है ब्लॉक कर सकते है।
  • फ़ेसबुक इस वर्ष मेटावर्स की वर्चुअल दुनिया मे तकरीबन दस बिलियन डॉलर का निवेश करना वाला है।

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  • मेटावर्स मे वर्चुअल रियलिटी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जायेगा। जिसके माध्यम से कोई भी यूजर सोशल मीडिया के जरिए घर बैठे एक अलग ही दुनिया की सेर कर सकेगा।
    मेटावर्स तकनीक आने के बाद यूजर्स का सोशल मीडिया इस्तेमाल करने के तरीका एकदम बदल जायेगा।
  • फेसबुक के अलावा ये कंपनियां भी कर चुकी हैं रीब्रांडिंग
  • फ़ेसबुक अपनी पेरेंट कंपनी का नाम बदलने वाली कोई पहली कंपनी नहीं है। इससे पहले भी कई दुनिया की बड़ी कंपनी कैसा कर चुकी है। 2015 मे गूगल ने अपनी पेरेंट कंपनी का नाम गूगल से बदलकर अल्फाबेट किया था। जबकि 2016 मे स्नैपचैट ने अपनी पेरेंट कंपनी कोस्नैप इंक नाम दिया था।

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