दुनिया मे पिछले कुछ वर्षों से हवाई ट्रेवस्ल करने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। जिसको ज्यादा से ज्यादा आसान बनाने के लिए सरकार भी लगातार काम कर रही है।
यही कारण है, कि अब सरकार भी टियर 1 से टियर 2 शहरों मे भी हवाई मार्गों को बढ़ावा दे रही है। लेकिन इससे पर्यावरण को काफी नुकसान हो रहा है।
अगर हम बात करे हवाई यात्रा करने वालों की तो वर्ष 2019 मे 454 करोड़ लोगो ने हवाई सफर किया है। इससे साफ जाहिर है कि अब पहले से ज्यादा प्लेन की संख्या बढ़ रही है।
जिसके कारण यह वायु प्रदूषण और कार्बन एमिशन (उत्सर्जन) ‘की मात्रा भी बढ़ रही है। लेकिन अब इस समस्या का समाधान करने के लिए एक नई तकनीक की खोज हुई है।
जिसके बारे मे हम आपको इस लेख मे सम्पूर्ण जानकारी देने वाले है, इसलिए इस लेख को अंत तक जरूर पढे इस लेख मे हम आपको बताने वाले है कि ई प्लेन तकनीक है e plane Technology kya hai hindi
e plane Technology
दुनिया मे प्रदूषण की इस समस्या को खत्म करने के लिए सभी देश मिलकर एक साथ आगे बढ़कर रहे है। इसलिए दुनिया भर मे कई देश बैटरी से चलने वाले प्लेन की तकनीक पर कार्य कर रहे है।
जिनके कुछ शुरुआती मॉडल सामने भी आ चुके है। ऐसे मे अगर सब कुछ सही रहा तो आने वाले दो से तीन वर्षों मे इलेक्ट्रिक प्लेन हवाओ मे उढ़ते हुए देखे जा सकते है।
जो पर्यावरण मे कार्बन एमिशन की मात्रा को कर सकते है, ऐसे मे जैसे जैसे इलेक्ट्रिक प्लेन की संख्या बढ़ती जाएगी तो कार्बन एमिशन की मात्रा पूरी तरह से कम हो जाएगी।
इलेक्ट्रिक प्लेन के फायदा
- इलेक्ट्रिक प्लेन electric plane शुरू होने से ईंधन मे 90 % तक की बचत आएगी जिसका फायदा यात्रियों को कम टिकट प्राइस के माध्यम से मिलेगा। जब इलेक्ट्रिक प्लेन का ट्रायल किया गया तो पता चला कि 100 किमी की यात्रा पूरी करने मे मात्र 222 रुपए का खर्च आया है।
- Electric Plane के इंजन मे पेट्रोल या डीजल प्लेन की तुलना मे कम पुर्जे होंगे जिसके कारण प्लेन के रख रखाव मे कम खर्च आएगा और सर्विसिंग कराने के लिए जरूरी पीरियड बढ़ जाएगा। इसे भी जरूर पढे :- इलेक्ट्रिक वाहन तकनीक क्या है ?
- इलेक्ट्रिक प्लेन electric plane को जमीन पर टेक ऑफ करने के लिए मोजूदा समय मे उड़ने वाले प्लेन की तुलना मे छोटे रनवे की ही जरूरत होगी जिससे एयरपोर्ट के रनवे पर होने वाले खर्च मे काफी कमी आएगी।
- मोजूदा समय मे उड़ने वाले प्लेन की तुलना मे इलेक्ट्रिक प्लेन के पंख छोटे होंगे जिसके कारण उड़ने मे बेटरी कम खर्च होगी अगर हम बोइंग कंपनी के विमान की बात करे तो विमान के पंखों की चौड़ाई 35 से 40 मीटर तक होती है, लेकिन इलेक्ट्रिक प्लेन आने के बाद पंखों की चौड़ाई घटकर 17 मीटर से भी कम हो जाएगी।
दुनिया में शुरू हो चुकी है ई-प्लेन की उड़ान
- ई प्लेन e plane लोगों के लिए सिर्फ एक ख्वाब नहीं है बल्कि हकीकत है बल्कि ई प्लेन बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कॉम्पनी इविएशन ने एलिस को एक उदाहरण के रूप मे लांच किया है।
- ई प्लेन को जल्द से जल्द लांच करने के लिए इविएशन कॉम्पनी के साथ मिलकर और भी बहुत सी कॉम्पनी कार्य कर रही है। शुरुआत मे ई प्लेन की पेसेन्जर अक्षमता कम रहेगी जो समय के साथ धीरे धीरे बढ़ती जाएगी।
- कुछ वर्षों पहले ई प्लेन को गंभीरता से नहीं लिया गया था लेकिन समय के साथ पर्यावरण मे बढ़ती हुई कार्बन एमिशन की मात्रा को देखते हुए देश और दुनिया की चिंताए बढ़ रही है। इसे भी पढे :- 5 जी टेक्नोलॉजी क्या है ?
- दुनिया के कई देशों मे तो कार्बन एमिशन की बढ़ती हुई मात्रा को देखते हुए प्लेन की खिलाफ आंदोलन भी हुए।
- दुनिया के कई देशों मे ई प्लेन उड़ान भर रहे है वर्तमान मे अमेरिकी कॉम्पनी हार्बर एयर भी ई प्लेन की ऐसी सर्विस दे रही है लेकिन अभी ई प्लेन ज्यादा दूरी तक उड़ान नहीं भर रहे है इसका कारण है कि अभी इनकी बेटरी जल्द खत्म हो जाती है जिसकी लंबी अक्षमता बढ़ाने के लिए अभी कुछ वर्ष और इंतजार करने की आवश्यकता है ।
- दुनिया भर मे उड़ान भरने वाली कुल फ़्लाइट्स मे से 45 % फ़्लाइट्स की दूरी 800 किलोमीटर से भी कम है ऐसे मे यह दूरी ई प्लेन के जरिए कम समय मे आसानी से पूरी की जा सकती है।
- वर्तमान मे बनाए गए ई प्लेन 400 किलोमीटर की दूरी तक बिना किसी रुकावट के पूरी कर सकते है ऐसे मे हाइब्रिड विमानों मे आधे रास्ते सामान्य इंजन और आधे रास्ते इलेक्ट्रिक इंजन से दूरी तय करने का रास्ता खुल चुका है।
भारत में भी ई-प्लेन का भविष्य
ई प्लेन e plane को जल्दी से जल्दी पूरी तरह से तैयार करने के लिए ई प्लेन से जुड़े 170 प्रोजेक्ट्स पर कार्य हो रहा है ई प्लेन को बनाने मे वर्तमान मे जो कॉम्पनिया कार्य कर रही है | उन कॉम्पनियों के एयरबस, एम्पायर, मैग्नीएक्स और इविएशन इत्यादि प्रमुख कॉम्पनी है।
इन कॉम्पनियों मे भारत की VTOL एविएशन इंडिया और यूबीफ्लाई भी ई प्लेन बनाने की दिशा मे कार्य कर रही है इसके अलावा बाकी की कॉम्पनी इलेक्ट्रिक एयर टैक्सी, इलेक्ट्रिक प्राइवेट प्लेन और पैकेज डिलीवरी से जुड़े प्रोजेक्ट पर कार्य कर रही हैं। इसे पढे :- डीप लर्निंग तकनीक क्या है।
वर्तमान मे VTOL एविएशन इंडिया ने ‘अभिज्ञान NX’ नाम का टू-सीटर इलेक्ट्रिक एयरक्राफ्ट डिजाइन किया है। जिसे फरवरी-2020 के डिफेंस एक्सपो में भी पेश किया गया था। कम दूरी की उड़ान भरने और बहुत कम सामान ले जाने इसके अलावा देश की सुरक्षा से जुड़े सीमाओ वाले क्षेत्रों मे भी जाने के लिए इस प्लेन का इस्तेमाल किया जा सकता है।
देश मे चेन्नई की एक स्टार्टअप यूबीफ्लाई टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड ने भी टू-सीटर ई-प्लेन बनाने के लिए काम शुरू किया हुआ है। ये कॉम्पनी खुद को ई प्लेन कॉम्पनी भी कहती है। इसे पढे :- मनी लेंडिंग मोबाइल ऐप्स लोन से कतई लोन न लें।
कंपनी के डायरेक्टर और CTO सत्यनारायण जी का कहना है कि हमारी कंपनी का फोकस केवल ड्रोन बनाने पर नहीं है, बल्कि ई प्लेन बनाने पर भी है जो आने वाले समय मे ट्रांसपोर्ट का अच्छा साधन होंगे।
ई-प्लेन की कुछ समस्याएं
- शुरुआत मे ई प्लेन को उड़ाने के लिए पावरफुल लीथियम आयन की बैटरियां बनाई गई थी।
- जो पॉवर देने में ATF से चलने वाले प्लेन के मुकाबले कमजोर साबित हुई है। ये बैटरियां फ्यूल प्लेन के मुकाबले छठे हिस्से के बराबर एनर्जी बनाती है। इसलिए ई प्लेन को उड़ाने के लिए और भी अधिक भारी बेटरी लगाने की आवश्यकता होगी जिसका भार लगभग 3500 किलो तक हो सकता है ये भार शुरुआती प्लेन के कुल भार का लगभग 60% तक होगा। इसे भी जरूर पढे : क्वांटम टेक्नोलॉजी क्या है ?
- E plane को बनाने के लिए मैकेनिकल इंजीनियर कई वर्षों से प्रयोग कर रहे है लेकिन उसके बावजूद भी ई प्लेन मे अभी और भी समस्याए है। ई प्लेन तकनीक मे और नए सुधार की की बहुत आवश्यकता है।
- ई प्लेन बनाने के खर्च होने वाली रकम के लिए निवेश के तौर पर बड़ी पूंजी की जरूरत है।
- फ्यूल प्लेन होने की वजह से पैसेंजर्स को ई-प्लेन का ऑप्शन चुनने के लिए तैयार करना।
ई प्लेन मे भारी बैटरी से होने वाली समस्याएं
अगर एक हिसाब से देखा जाए तो वर्तमान मे मौजूद फ्यूल प्लेन उड़ान भरने के बाद हल्का होने लगता है। जिसके कारण विमान हल्का होने के बाद विमान को उड़ने मे एनर्जी कम लगती है और प्रभाव अधिक बढ़ जाता है। लेकिन इसके विपरीत इलेक्ट्रिक प्लेन मे ऐसा नहीं होगा। क्योंकि उसमे बैटरी डिस्चार्ज होने के बाद भी भारी बैटरी को ढोना होगा।
इलेक्ट्रिक प्लेन electric plane को चार्ज करना भी ई प्लेन कॉम्पनियों के लिए एक बड़ी समस्या है। 500 किलोवॉट की एक बैटरी को चार्ज करने के लिए बहुत अधिक बिजली की आवश्यकता होती है। लेकिन एलिस कॉम्पनी के ई प्लेन में 920 kWh क्षमता की बैटरी लगी हुई है। इसे भी जरूर पढे : हर किसी की निजी जानकारी निकालने वाला पेगासस स्पाइवेयर क्या है।
जिसे चार्ज करने के लिए बड़े-बड़े ट्रकों पर चार्जिंग स्टेशन बनाने होंगे। जो प्लेन के लैंड होने पर प्लेन के पास जाएंगे और उनकी बैटरी को चार्ज करेंगे।
बैटरी में होने वाले सुधार बताएंगे कब से उड़ान भरेगा ई-प्लेन
पूरी तरह से सभी सुविधाओ के साथ उड़ने वाले ई प्लेन से पहले से एक या दो इलेक्ट्रिक इंजन वाले हाइब्रिड प्लेन ट्रायल के तौर पर उड़ने शुरू हो जायेगे ताकि उनके आधार पर कमी को पूरा किया जा सके अमेरिकी प्लेन कॉम्पनी बोइंग ने तो सुपर वोल्ट प्रोजेक्ट के तहत इलेक्ट्रिक हाईब्रिड प्लेन बना भी लिया है। इसे भी जरूर पढे : एंटी ड्रोन टेक्नोलॉजी क्या है
ट्रायल के लिए ऐसा ही एक Hybrid e Plane बनाने की योजना एयरबेस कंपनी की भी है जिसका नाम ई फैन होगा। ई-प्लेन बनाने वाली सभी कॉम्पनिया सिर्फ बैटरियों को छोटा, सुरक्षित और हल्का बनाने की दिशा मे काम कर रहे है। जो आने वाले कुछ ही वर्षों मे अपना लक्ष्य प्राप्त कर लेंगे। इसे पढे :- डिजिटल बैंकिंग क्या है।
लेख मे आपने क्या सीखा
दोस्तों इस लेख मे हमें आपको उड़ान की भविष्य मे आने वाली नई तकनीक के बारे मे जानकारी दी है जिसके बारे मे सभी लोगों को जानना चाहिए इसे लेख मे हमने आपको बताया है कि ई प्लेन तकनीक क्या है e plan Technology kya hai Hindi
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