बच्चों को सेक्स एजुकेशन कब और किस उम्र मे देना जरूरी है।

हमारे देश में सेक्स का नाम किसी के मुंह से अगर निकल भी जाए तो, उसे लोग एक अलग ही नजर से देखते है, कि पता नहीं इसने क्या जुल्म कर दिया हो

यही कारण है, कि देश के अंदर सेक्स को लेकर और अलग प्रकार का भ्रम बना रहता है।  इसी  डर की वजह से बच्चों  के अंदर सेक्स से जुड़े हुए सवाल  दबे रह जाते है।

लोगों को अब इसके बारे में थोड़ा अलग प्रकार से सोचने की जरूरत है, ताकि बच्चों को इस विषय के बारे में सही समय पर जानकारी देकर भ्रमक जानकारी से बचाया जा सके।

Sex Education का मतलब यह नहीं है, कि आप बच्चों को कम आयु में ही सेक्स करने के तरीकों के बारे में समझाये कि सेक्स कैसे परफ़ॉर्म किया जाता है।

अगर आपकी यही सोच है, तो इसका मतलब है कि आपको भी सेक्स के बारे में अधूरी जानकारी है।

देश के ज्यादातर माता पिता को सेक्स का केवल वही मतलब पता होता है, इसलिए बच्चों के सामने इस टॉपिक पर खुलकर बात करने से झिझकते है।

सेक्स एजुकेशन का मतलब बच्चों की आयु के हिसाब से अलग होता है। बदलते हुई आयु के हिसाब से मेल , फीमेल बच्चों में उनकी बॉडी के हिसाब से बदलाव होते रहते है।

जिनके बारे में बच्चों को पहले से ही अवगत कराना जरूरी है.  ताकि जब भी उनकी शारीरिक बॉडी के इस प्रकार का कोई बदलाव हो तो, वे उसे समझ सके।

बच्चों के लिए सेक्स एजुकेशन क्यों जरूरी है इसके बारे मे पूरी जानकारी प्राप्त करने के लिए लेख को पूरा पढ़ें