एंटी ड्रोन सिस्टम टेक्नोलॉजी दूसरे देशों से देश की सुरक्षा में इस्तेमाल होने वाली तकनीक है। जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते है। अगर आप भी इसके बारे में नहीं जानते है तो इस लेख को पूरा पढ़ें। इस लेख मे हम आपको इस तकनीक के बारे में विस्तार से बताने वाले है। इस लेख मे हम आपको बताने वाले है कि एंटी ड्रोन सिस्टम टेक्नोलॉजी क्या है। Anti Drone Technology Kya Hai Hindi ये तकनीक दूसरे देशों से भारत की रक्षा कैसे करेगी ।
एंटी ड्रोन सिस्टम का सफल परीक्षण 8 जनवरी 2021 में एनएसजी कैंप , मानेसर में किया गया था। इस तकनीक का इस्तेमाल सबसे पहले अमृतसर बॉर्डर पर एक ऑपरेशन के दौरान भी किया गया था।
एंटी ड्रोन सिस्टम क्या हैं Anti Drone Technology Kya Hai Hindi
CUAS को आम बोलचाल की भाषा में एंटी-ड्रोन सिस्टम कहा जाता है। एंटी ड्रोन सिस्टम मात्र तीस सेकेंड के अंदर अपने दुश्मन के UAV की रेडियो फ्रीक्वेंसी को फ्रीज कर देता हैं। इसके अलावा आप जीपीएस को डैमेज करके उसकी फोर्स लैन्डिंग करवाए या उसे नष्ट कर दें। ये आप पर निर्भर करता हैं।
ये सिस्टम 24 ×7 अपना काम करेगा। अगर बहुत सारे ड्रोन एक साथ देश पर हमला करते हैं तो ये उसे भी डिटेक्ट करने की ताक़त रखता हैं।
एंटी ड्रोन सिस्टम की खासियतें
- एंटी-ड्रोन सिस्टम के माध्यम से चार किलोमीटर की रडार डिटेक्शन रेंज, दो किलोमीटर से अधिक की जैमिंग रेंज के अलावा एक किलोमीटर से अधिक दूरी तक मारने की क्षमता है।
- इसके बारे में एक खास बात यह है कि एंटी-ड्रोन सिस्टम 10 सेकंड के अंदर ही अपने दुश्मन के ड्रोन को आसानी से ढूंढने मे सक्षम है।
- इस तकनीक के जरिए मात्र दस मिनट में चाहे स्थिति कैसी भी हो इस जगह पर तैनात किया जा सकेगा. चाहे उस जगह का टेम्परेचर कितना भी कम क्यों न हो।
- रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के प्रमुख के अनुसार एंटी ड्रोन टेक्नोलॉजी देश में दूसरे देशों को खतरा पैदा करने वाले ड्रोन का का तेजी से पता लगाकर उन्हें रोकने और खत्म करने का काम करेगी। जिससे देश के देश के सुरक्षा बलों को काफी ताकत मिलेगी।
- डीआरडीओ का एंटी ड्रोन सिस्टम हवाई खतरे से निपटने के लिए देश की आर्मी को “सॉफ्ट किल” और “हार्ड किल” दोनों ऑप्शन देगा। पहला सिस्टम ड्रोन को फ्रीज करने का काम करता हैं जबकि दूसरा सिस्टम ड्रोन को खत्म करने का काम करता हैं।
- एंटी ड्रोन सिस्टम हवाई हमलों के दौरान खतरों से निपटने के लिए काफी असरदार होगा।
एंटी ड्रोन सिस्टम कैसे काम करता हैं
एंटी ड्रोन सिस्टम कैसे काम करता हैँ इसको लेकर अधिकारियों ने बताया कि इस एंटी ड्रोन सिस्टम में एक रडार होती हैं। जो लगभग चार किलोमीटर दूर तक की रेंज में आने वाले माइक्रो ड्रोन के साथ 360-डिग्री कवरेज प्रदान करता हैं। जबकि दो किलोमीटर तक के माइक्रो ड्रोन का इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल / इन्फ्रारेड (EO/IR) सेंसर सकते हैं. रेडियो फ्रीक्वेंसी (RF) डिटेक्टर 3 किमी तक इस तरह के किसी भी कम्युनिकेशन का पता लगा सकती है.
एंटी ड्रोन सिस्टम को समझने के लिए आपको पहले काउंटर अनमैन्ड एयरक्राफ्ट सिस्टम यानी कि CUAS प्रणाली को समझना होगा। ये सिस्टम दुश्मन ड्रोन और मानव-रहित हवाई उपक्रम का पता लगाकर उन्हे नष्ट कर देते हैं। CUAS सिस्टम खुफिया जानकारी जुटाने उपकरण , नशीले पदार्थों की तस्करी या विस्फोटक भेजने वाले उपकरणों का पता लगाकर उन्हें खत्म कर देता हैं।
CUAS सिस्टम में जेमर्स भी लगे होते हैं जो दुश्मनों के ड्रोन को तबाह करने के लिए काफी हैं।
डीआरडीओ का बीईएल के साथ करार
ड्रोन से होने वाले खतरे को भाँपते हुए इंडियन आर्मी ने शुरुआत में एंटी-ड्रोन सिस्टम बनाने के लिए भारत इलेक्ट्रोनिक्स लिमिटेड (बीईएल) कंपनी के साथ करार किया हैं। ऐसे में दोनों साथ मिलकर बड़े स्तर एंटी-ड्रोन सिस्टम बनाएंगे ताकि जरूरत के समय उनका इस्तेमाल किया जा सकें। भारतीय रक्षा मंत्रालय के अनुसार एंटी-ड्रोन सिस्टम देश के पहला स्वदेशी एंटी-ड्रोन सिस्टम हैं। जिसे इंडियन आर्मी के बेड़े में जोड़ा जाएगा।
इस सिस्टम को ट्रायल सबसे पहले गणतंत्र दिवस परेड के दौरान वर्ष 2020 में किया गया था। इसके बाद देश के प्रधानमंत्री और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रोड शो और फिर लाल किले पर स्वतंत्रता दिवस के अवसर भी किया गया। जो पूर्ण रूप से सफल भी रहा।

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